by pyarishayri - Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Love Shayri, Mosam Shayri, Shayari, Shayri, गुस्ताखियां शायरी, जिंदगी शायरी, दर्द शायरी, प्यार, प्यार शायरी, प्यारी शायरी, शायरी, हिंदी, हिंदी शायरी - November 14, 2016 बस एक शाम की बस एक शाम की लज़्ज़त बहुत ग़नीमत जान अज़ीम पाक़ मुहब्बत हरेक के बस की नहीं|