आरजू थी कि एक लम्हा जी लूँ,
तेरे कन्धे पै सर रख के,
मगर ख्वाब तो ख्वाब हैं पूरे कब होते हैं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आरजू थी कि एक लम्हा जी लूँ,
तेरे कन्धे पै सर रख के,
मगर ख्वाब तो ख्वाब हैं पूरे कब होते हैं..