लगने दो आज महफ़िल, चलो आज
शायरी की जुबां बहते हैं
.
तुम उठा लाओ “ग़ालिब” की किताब,हम अपना
हाल-ए-दिल कहते हैं.|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लगने दो आज महफ़िल, चलो आज
शायरी की जुबां बहते हैं
.
तुम उठा लाओ “ग़ालिब” की किताब,हम अपना
हाल-ए-दिल कहते हैं.|