जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है

जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है, जो मुसाफिर थे वो रास नहीं आये… जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये।

सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए..

सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए.. .. आज मैं चाँद भी ले आया हूँ तेरे लिए…!

इमारतें बनती हैं रोज़

इमारतें बनती हैं रोज़, हर रोज़… मजदूरों के दफ्तरों में… इतवार नहीं होते.

मैं भले ही वो काम नहीं करता

मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले… पर वो काम जरूर करता हूँ…जिससे दुआ मिले.’;..

जब ख्वाबों के रास्ते

जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं

ताल्लुकातों की हिफ़ाज़त

ताल्लुकातों की हिफ़ाज़त के लिये बुरी आदतों का होना भी ज़रूरी है, ऐब न हों तो लोग महफ़िलों में नहीं बैठाते………..??

उस से कह दो वो अब नहीं

उस से कह दो वो अब नहीं आए मैं अकेला बड़े मज़े में हूं

तेरी रूह का मेरी रूह से

तेरी रूह का मेरी रूह से निकाह हो गया हैं जैसे… तेरे सिवा किसी और का सोचूँ तो नाजायज़ सा लगता हैं….

हम जमाने की नज़र में थे

हम जमाने की नज़र में थे यकीनन, तेरी नज़र से पेश्तर, तेरी नज़र में जो आये, हो गए सुर्खरू पहले से भी बेहतर।

यही अंदाज़ है मेरा समन्दर फ़तह करने का

यही अंदाज़ है मेरा समन्दर फ़तह करने का मेरी काग़ज़ की कश्ती में कई जुगनू भी होते है..

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