बेनाम सा रिश्ता

बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है पलके आंखे, दिया और बाती ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!

अपनी जिद्द बना लो.!

सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो, मुझे भी अपनी जिद्द बना लो.!!

दिल को हल्का कर लेता हूं

दिल को हल्का कर लेता हूं लिख-लिख कर.. लोग समझते हैं… मैं शायरी करता हूं…

कौन कहता है कि

कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है|

उमर का जोर

उमर का जोर न दिखाइए जनाब.. तकाज़ा उमर से ही नहीँ, ठोकरों से भी होता है..!

उम्र जाया कर दी

उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते… इतना खुद को तराशते तो खुदा हो जाते…

क्या लूटेगा जमाना

क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी.. मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….

बिछड़ने का इरादा

बहुत नजदीक आ जाते हैं वो लोग, जो बिछड़ने का इरादा रखते है…!!.

बच्चे मेरे गली के

बच्चे मेरे गली के बहुत ही शरारती हैं, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये..

कुछ दूर हो गये हैं

जब से वो मशहूर हो गये हैं, हमसे कुछ दूर हो गये हैं…

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