न जाने कब

न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला….वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए…

इलाज न ढूँढ़

इलाज न ढूँढ़ तू इश्क़ का – वो होगा ही नहीं, इलाज मर्ज़ का होता है इबादत का नहीं|

आज उसने हमें

आज उसने हमें एक और दर्द दिया तो हमें याद आया; कि दुआओं में हमने ही तो उसके सारे दर्द मांगे थे।

तु कितनी भी खुबसुरत

तु कितनी भी खुबसुरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी… खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तु अच्छी नहीं लगती|

इश्क़ से खुद को बचाते रहे

इश्क़ से खुद को बचाते रहे उन से नज़रें चुराते रहे जब-जब नाम आया उनका होठों पर बोलने से हम कतराते रहे उन पर दिन-ब-दिन कविता बनाते रहे पर न जाने किस बात से घबराते रहे क्या बताएं हाल-ए-दिल आपको न चाहते हुए भी उन्हें चाहते रहे|

दुख मे खुशी की वजह

दुख मे खुशी की वजह बनती है मोहब्बत, दर्द मे यादो की वजह बनती है मोहब्बत, जब कुछ भी अच्छा नई लगता दुनिया मे, तब जीने की वजह बनती है मोहब्बत….

आँसूं हमारी आँखों में

आँसूं हमारी आँखों में कैद थे, बस तेरी याद आई और इन्हें जमानत मिल गयी !!

हमारा अंदाज़ भी

हमारा अंदाज़ भी शायराना होगया है जनाब, . . जबसे उन्होंने कहा है कि मुझे शायरी और शयार बहुत पसंद है।

अगर प्रतित हो रहा है

दुःख अगर प्रतित हो रहा है तो समझना की कहीं ना कहीं हम गलत कर रहे हैं।

सुलूक-ए-बेवफाई

सुलूक-ए-बेवफाई तो हम भी कर सकते हे , जान … पर तू रोये ये हमे गवारा नही ।

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