इश्क़ अदब है तो अपने आप आए गर सबक़ है तो फिर पढ़ा मुझ को|
Category: Hindi Shayris
कल जैसे ही
कल जैसे ही हमारा मेहबूब चांदनी रात में बाहर आ गया आसमां का चाँद भी धरती के चाँद को देखकर शर्मा गया|
इत्तफाक से तो
इत्तफाक से तो नही हम दोनो टकराये कुछ तो साजिश खुदा की भी होगी….
सोचो तो सिलवटों से
सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह देखो तो इक शिकन भी नही है लिबास में
एहसान जताना जाने
एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया; मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।
ख़ामोश रहेता हूँ
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह.. मगर ख़ामोश रहेता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह..
मुहब्बतों से फ़तेह
मुहब्बतों से फ़तेह करते हैं हम ‘दुश्मन’ दिलों को…. हम वो सिकंदर हैं, जो लश्कर नहीं रखते ….!!
दब गई थी
दब गई थी नींद कहीं करवटों के बीच, दर पे खड़े रहे थे कुछ ख्वाब रात भर।
वो जो तुमने
वो जो तुमने एक दवा बतलाई थी गम के लिए.. ग़म तो ज्यूँ का त्यू रहा बस हम शराबी हो गये..
ना सोचो ख़ुदको
ना सोचो ख़ुदको तन्हा बना रहा हूँ मैं। तेरी यादें समेटके साथ ले जा रहा हूँ मैं।