ये सोच कर

ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले . उसकी गली के बच्चे आपस में लड़ा दिए मैंने !!

क्या हसीन इत्तेफाक़ था

क्या हसीन इत्तेफाक़ था , तेरी गली में आने का. . किसी काम से आये थे , किसी काम के ना रहे . ..

झाँक रहे है

झाँक रहे है इधर उधर सब, अपने अंदर झांकें कौन , ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां, अपने मन में ताके कौन..

नफरत का किस्सा

आओ नफरत का किस्सा, दो लाइन में तमाम करें, दोस्त जहाँ भी मिले, उसे झुक के सलाम करें…

मैं कर तो लूँ मुहब्बत

मैं कर तो लूँ मुहब्बत फिर से मगर याद है दिल लगाने का अंजाम अबतक|

ना कहने से होती है

ना कहने से होती है , ना सुनाने से, ये जब शुरू होती है तो बस मुस्कुराने से….

रूकता नहीं तमाशा

रूकता नहीं तमाशा, रहता है खेल जारी… उस पर कमाल ये है, कि दिखता नहीं मदारी…

क़लम नुकीली बहुत है

क़लम नुकीली बहुत है हमारी डरते है कभी किसी के कलेजे पर न चल जाये|

तन्हाई की दीवारो पे

तन्हाई की दीवारो पे घुटन का पर्दा झूल रहा है बेबसी की छत के नीचे कोई किसी को भूल रहा है|

गिला बनता ही नही

गिला बनता ही नही बेरुखी का इंसान ही तो था बदल गया होगा|

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