चाँद से छूटा तो तारों के जाल में जा अटका … अब रात गुज़र जाएगी उस सपने को छुड़ाने में|
Category: Hindi Shayri
रूह में बसा करते थे
रूह में बसा करते थे हम कभी…. अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….जो चलता है, वो ही संसार को बदलता है । जिसने रातों से जंग जीती है, सूर्य बनकर वही निकलता है ।
निकाल दिया उसने
निकाल दिया उसने हमें, अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
पुछ रही है आज
पुछ रही है आज मुझसे मेरी शायरियाँ.. कि कहाँ उड गए वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे …
कल मिले थे
कल मिले थे राह में, बस नज़रो से बात की, ये वक़्त का तकाज़ा है, वो इशारा नही करते…!!!
दिल में बुराई रखने से
दिल में बुराई रखने से बेहतर है आप अपनी नाराज़गी जाहिर कर दें|
अच्छा हुआ की
अच्छा हुआ की पंछियों के मज़हब नहीं होते, बरगद भी परेशां हो जाता, मसले सुलझाते सुलझाते।
तुम्हे देखने की तमन्ना
तुम्हे देखने की तमन्ना है इस दिल में , तुम्हे छू सकूँ तो बड़ी बात होगी , उस पल के सदके मैं सब कुछ लुटा दूँ , जिस पल हमारी मुलाकात होगी!!!!
उसकी जब मर्जी होती है
उसकी जब मर्जी होती है वो हम से बात करती हैं. पर हमारा पागलपन तो देखो हम फिर भी पूरा दिन उसकी मर्जी का इंतजार करते हैं|
हम तो नरम पत्तों की
हम तो नरम पत्तों की शाख हुआ करते थे…. छीले इतना गए की खंजर हो गए….