बातों से सीखा है हमने आदमी को पहचानने का फन… जो हल्के लोग होते है,हर वक्त बातें भारी भारी करते हैं..!!
Category: Hindi Shayri
खूल सकती है
खूल सकती है, गाँठे बस जरा सी जतन से, पर लोग कैचियाँ चला कर, सारा फ़साना बदल देते है ।
अंदर से तो
अंदर से तो कब के मर चुके है हम, ए मौत तू भी आजा लोग सबूत मांगते है !!
घर मे रहता हूँ
मुझसे ना माँगिए मशवरे… मंदिर और मस्जिद के मसलो पर मै इंसान हूँ साहब…. खुद किराए के घर मे रहता हूँ !
यकीन कर लो
यकीन कर लो भूख मजहब से बड़ी होती है, तवायफ अपने खरीददार का मजहब नहीं देखती…!!
लोग कहते है
लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए.. और हम कहते है कि आदमी का जमीर होना चाहिए……..
अगर पाना है
अगर पाना है मंझिल तो अपना रहनुमा खुद बनो, वो अक्सर भटक जाते है जिन्हें सहारा मिल जाता|
बड़े बदनसीब ठहरे
बड़े बदनसीब ठहरे हम, जो क़रार तक ना पहुँचे,,,,दर-ए-यार तक तो पहुँचे, दिल-ए-यार तक ना पहुँचे|
तुम कभी मेरे साथ
तुम कभी मेरे साथ…आसमां तक चलो. . मुझे इस चाँद का…गुरूर तोड़ना है….!
आँखे भिगोने लगी है
आँखे भिगोने लगी है अब यादे भी तेरी , काश तुम अजनबी ही होते तो अच्छा होता|