कैसे हो सकता है

कैसे हो सकता है होनी कह के हम टाला करें और ये दुश्मन बहू-बेटी से मुँह काला करे

बस यही तोहफा है

इस मतलबी दुनिया का, बस यही तोहफा है । खूब लुटाया अपनापन फिर भी,जाने क्यों लोग खफा हैं ।

बिछड़ने वाले तेरे

बिछड़ने वाले तेरे लिए, एक “मशवरा” है , . . . कभी हमारा “ख्याल” आए, तो अपना ‘ख्याल’ रखना…..

खेलने की उम्र थी

जिन खिलौनों से खेलने की उम्र थी उसकी…….. मैंने उन खिलौनों को उसे सड़क पर बेचता पाया……!!!!!

कब्र को देख

कब्र को देख के ये रंज होता है दोस्त ,, के इतनी सी जगह के लिए मरना पड़ा ..

यूँ तो गलत नही

यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के ,, लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है .

मत पूछ वज़ह

मत पूछ वज़ह…तु पसंद हैं बेवज़ह…

सहारा-ए-फसाना

अकसर हकीकत जानते हुए भी, सहारा-ए-फसाना लिये जा रहे हैं …!

शक करती है दुनिया

लाख समझाया के शक करती है दुनिया, मगर ना गयी आदत मेरी मुस्कुरा के गुजरने की..

वजह नफरतों की

वजह नफरतों की तलाशी जाती हैं, मोहब्बतें तो बिन वजह ही हो जाया करती हैं.

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