अधूरा अनसुना सा

अधूरा अनसुना सा रह गया यूँ प्यार का किस्सा.. कभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया…

मुझे याद नहीं

मुझे याद नहीं करना पड़ता कुछ भी …सब साथ साथ चलता है मेरे ..जो है वो भी ..जो गुज़र गया वो भी ।

कुछ और जज्बातो को

कुछ और जज्बातो को बेताब किया उसने, आज मेहंदी वाले हाथो से आदाब किया उसने..!!

किस बात पे रूठा है

किस बात पे रूठा है पता चले तो मनाऊं उसे, वो रूठ तो जाता है लेकिन शिकायत नहीं करता..

एक तुम को

एक तुम को अगर चुरा लूँ मैं…. हाय ! सारा जमाना गरीब हो जाये….!!

बग़ैर जिसके एक

बग़ैर जिसके एक पल भी गुज़ारा नहीं होता, सितम देखिये वही शख़्स हमारा नहीं होता !!

घटा में छुपके

घटा में छुपके सितारे फ़ना नहीं होते, अँधेरी रात में दिल को दिये बनाके जियो।

ख़ामोशी तेरे मन की

मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा… मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हुआ हालात मेरा…

मीठे बोल बोलिए

मीठे बोल बोलिए , क्योंकि अल्फ़ाज़ों में जान होती है, इन्हीं से आरती, अरदास और इन्हीं से अजान होती है|

बेवजह अब ज़िन्दगी में

बेवजह अब ज़िन्दगी में प्यार के बीज न बोए कोई…!! मोहब्बत के पेड़ हमेशा ग़म की बारिश ही लाते हैं…!!

Exit mobile version