तेरे अहसास की खुश्बू

तेरे अहसास की खुश्बू इस कदर भर गयी है….. इत्र कोई भी हो मुझमे महकते तुम ही हो…..

सांसों की महक

सांसों की महक हो या चेहरे का नूर……चाहत है आपसे इसमें मेरा क्या कसूर..…

जो उड़ गए परिन्दे

जो उड़ गए परिन्दे उनका अफ़सोस क्यों करूँ, यहाँ तो पाले हुए भी गैरों की छतों पर उतरते हैं|

तुझसे दूर भी हूँ मैं

तुझसे दूर भी हूँ मैं ..और पास भी.. कहने को खुश भी हूँ मैं और उदास भी…

खुद को बहलाने की

खुद को बहलाने की इक तरकीब सुझा रक्खी है, उलझनों के सिरहाने इक उम्मीद बिठा रक्खी है।।

किसी के इंतेज़ार में

किसी के इंतेज़ार में कट रहे किसी पल की तरह, आज फिर याद आ रही है वो कल की तरह।।

हार तय मानकर

हार तय मानकर रूप के इस घमासान में, चाँद भी छुप के बैठ गया है आसमान में।

वो झूठे हैं

वो झूठे हैं जो ये कहते कि बचपन फिर नहीं आता,, तूझे माँ जब भी देखूं मेरा बचपन लौट आता है………..

देखो ऐसा भी होता है

देखो ऐसा भी होता है रश्मे-प्यार में, एक चाँद बैठा है दूजे के इंतज़ार में।

मैं कोई छोटी सी

मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं थी बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुमने!!! “आपकी हर एक शायरी गजब ढा देती है”

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