उंगलिया डुबी है अपने ही लहू में। शायद ये कांच के टुकड़े उठाने की सजा है।।
Category: शायरी
यूँ तो शिकायते
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये..
छोड दी हमने
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी, आरजू करना, जिसे मोहब्बत, की कद्र ना हो उसे दुआओ, मे क्या मांगना…
दिल चाहता है
दिल चाहता है कि बहुत करीब से देखूँ तुम्हें पर नादान आंखे तेरे करीब आते ही बंद हो जाती हैं|
यूँ तो होते है
यूँ तो होते है रूबरू चेहरे बहोत हर रोज़ मुझसे, लेकिन रुह को सुकून जिससे मिले वो चेहरा तुम्हारा है !!
किसी हसरत का पता
अपने दिल की किसी हसरत का पता देते है।मेरे बारे में जो अफवाह उड़ा देते है|
तुम सामने आये तो
तुम सामने आये तो अजब तमाशा हुआ….. हर शिकायत ने जैसे खुदखुशी कर ली…….
एक साँस भी
एक साँस भी पूरी नही होती तुम्हारे ख़यालों के बिना….. कैसे सोच लिया जी लेंगे तुम्हारे बिना……
कितने अल्फ़ाज़ होते है
खामोशी के भी कितने अल्फ़ाज़ होते है अगर तुम समझ जाते तो आज मेरे पास होते..!!
कुछ न कहने से भी
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न, ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है…