कहानी अजीब है पर यही हकीकत है.. वो बहुत बदल गया है वादे हज़ार करके
Category: शायरी
कोई हुनर कोई सलीका
कोई हुनर कोई सलीका कोई रास्ता ऐसा बताओ… उस से वास्ता रखे बिना ये जिंदगी गुज़ार दूँ…
तेरे रंग रूप का
तेरे रंग रूप का मैं क्या करूँ…. मुझको तेरी रूह से जुस्त जू है…
जिनके पास अपने है
जिनके पास अपने है वो अपनों से झगड़ते हैं… नहीं जिनका कोई अपना वो अपनों को तरसते है।
मेरे दराज़ में रक्खा है
मेरे दराज़ में रक्खा है अब भी ख़त उसका,,, पुराना इश्क़, पुराना हिसाब हो जैसे…
गुनगुनाना चाहता हूँ
आखिरी हिचकी तेरे जानों पे आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ….
तुम क्यूँ अपनी
तुम क्यूँ अपनी आँखें सुर्ख करते हो,हमारा क्या है हम तो मोहब्बत की सजा काट रहे है|
हुआ है तुझसे
हुआ है तुझसे बिछडने के बाद मालूम,की सिर्फ तु नहीं थी तेरे साथ एक दुनिया भी थी |
आज फिर मुझको
आज फिर मुझको तेरी याद आई है… लगता है तुझको भूलने लगा हूँ मैं
उनको हमारी मोहब्बत का
उनको हमारी मोहब्बत का अहेसास नहीं है तो क्या हुआ हमें तो उनसे प्यार करना बहोत अच्छा लगता है