इतनी नफरत थी उसे मेरी मोहब्बत से , उसने हाथ जला डाले,मुझे तक़दीर से मिटाने के लिए.
Category: व्यंग्य शायरी
सात जन्मों तक
सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करने वाले, ‘रोमिंग’ में जाते ही फोन उठाना छोड़ देते है!!
त्याग दी सब ख्वाहिशे
त्याग दी सब ख्वाहिशे, निष्काम बनने के लिए,.. राम ने खोया बहुत कुछ, श्रीराम बनने के लिए…।।
कुछ बेर चुन लें
चलो कुछ बेर चुन लें कल अपने काम आएँगे, हम सब की झोंपड़ी में भी कभी तो राम आएँगे…
मैँ कभी बुरा नही
मैँ कभी बुरा नही था……… उसने मुझे बुरा कह दिया फिर मैँ बुरा बन गया ताकी उन्हे कोई झुठा ना कह दे।
इतनी नफरत थी
इतनी नफरत थी उसे मेरी मोहब्बत से ,उसने हाथ जला डाले,मुझे तक़दीर से मिटाने के लिए.
जिसका दिल चाहे
ख़ुदा जाने किस ‘दर’ का चिराग़ हूँ मैं.. जिसका दिल चाहे ‘ज़ला’ के छोड़ देता है.
गरीबो के बच्चे भी
मूर्ति बेचने वाले गरीब कलाकार के लिए, किसी ने क्या खूब लिखा है…. गरीबो के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में, इसिलिये भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में……
आख़िर थाम लो
तुम ही आख़िर थाम लो न मुझे, सबने छोड़ दिया है मुझे तेरा समझकर…॥
याद आती है
बीती बातें याद आती है जब अकेला होता हूँ मैं, बोलती है खामोशियाँ सबसे छुप के रोता हूँ मैं…॥