रूबरू होने की तो छोड़िये, लोग गुफ़्तगू से भी क़तराने लगे हैं……ग़ुरूर ओढ़े हैं ,रिश्ते..अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं|
Category: प्यार शायरी
लौटाना भूल जाते हैं !
मोहबत भी एक उधार की तरह है.. लोग ले तो लेते हैं लौटाना भूल जाते हैं !
ख़ामोश सा माहौल
ख़ामोश सा माहौल और बेचैन सी करवट है… ना आँख लग रही है और ना रात कट रही है…
आज फिर तुम्हे
आज फिर तुम्हे भुलाने बैठे हम, आज फिर तुम्ही याद आते रहे।।
अजीब लहजे में
अजीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने जवाब देने से पहले ही छलक गई आँखें मेरी|
इस सलीक़े से
इस सलीक़े से मुझे क़त्ल किया है उसने अब भी दुनिया ये समझती है की ज़िंदा हूँ मैं !!
कल्पना का सफ़र
कल्पना का सफ़र कितना कठिन होता है… मेरी सोचों के तल्वे ही छिल गए हैं…
ज़िंदगी में बार बार
ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता, बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता, है जो पास उसे संभाल के रखना, खो कर वो फिर कभी दुबारा नही मिलता !
ख़्वाबों के पीछे
ख़्वाबों के पीछे जिंदगी उलझा ली इतनी.. हकीकत में रहने का सलीका ही भूल गए।।
बुझ जाओ तो अँधेरा
बुझ जाओ तो अँधेरा, जल जाओ तो शमा रौशन, देखने वाले को भी, नज़रे हुनर चाहिये !!