अगर पाना है मंझिल तो अपना रहनुमा खुद बनो, वो अक्सर भटक जाते है जिन्हें सहारा मिल जाता|
Category: प्यारी शायरी
बड़े बदनसीब ठहरे
बड़े बदनसीब ठहरे हम, जो क़रार तक ना पहुँचे,,,,दर-ए-यार तक तो पहुँचे, दिल-ए-यार तक ना पहुँचे|
तुम कभी मेरे साथ
तुम कभी मेरे साथ…आसमां तक चलो. . मुझे इस चाँद का…गुरूर तोड़ना है….!
आँखे भिगोने लगी है
आँखे भिगोने लगी है अब यादे भी तेरी , काश तुम अजनबी ही होते तो अच्छा होता|
तेरे इश्क़ का सुरूर
तेरे इश्क़ का सुरूर था जो खुद को बरबाद कर दिया…!! वरना एक वक्त था जब दुनियां मेरी भी रंगीन थी…!!
काश के कभी तुम
काश के कभी तुम समझ जाओ मेरी चाहत की इन्तहा को, हैरान रह जाओगे तुम अपनी खुश-नसबी पर..
शीशे की अदालत
शीशे की अदालत में पत्थर की गवाही है कातिल ही मुहाफिज है कातिल ही सिपाही है|
ऐ समन्दर मैं
ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं मगर इतना बताता हूं, वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूं..
ज़माना हो गया
ज़माना हो गया देखो मगर चाहत नहीं बदली, किसी की ज़िद नहीं बदली, मेरी आदत नहीं बदली.
रखा करो नजदीकियां
रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं, फिर मत कहना की चले भी गए और बताया भी नहीं !!