बिगाड़ कर बनाए जा या सवाँर कर बनाए जा में तेरा चिराग हु जलाए जा या बूझाए जा|
Category: प्यारी शायरी
गुफ़्तुगू देर से
गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर इक नई बात निकल आती है हर बात के साथ |
उंगलिया डुबी है
उंगलिया डुबी है अपने ही लहू में। शायद ये कांच के टुकड़े उठाने की सजा है।।
यूँ तो शिकायते
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये..
छोड दी हमने
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी, आरजू करना, जिसे मोहब्बत, की कद्र ना हो उसे दुआओ, मे क्या मांगना…
कुछ इस अंदाज़ से
कुछ इस अंदाज़ से आईना देखते है वो के देखते हुए उन्हें कोई देखता न हो..
दिल चाहता है
दिल चाहता है कि बहुत करीब से देखूँ तुम्हें पर नादान आंखे तेरे करीब आते ही बंद हो जाती हैं|
इतना आसान नहीं है
इतना आसान नहीं है जीवन का हर किरदार निभा पाना… इंसान को बिखरना पड़ता है रिश्तों को समेटने के लिए….!!
खता हो गयी तो
खता हो गयी तो सजा बता दो, दिल में इतना दर्द क्यों है वजह बता दो, देर हो गयी है याद करने में ज़रूर, लेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल दिल से मिटा दो।
यूँ तो होते है
यूँ तो होते है रूबरू चेहरे बहोत हर रोज़ मुझसे, लेकिन रुह को सुकून जिससे मिले वो चेहरा तुम्हारा है !!