दौड़ने दो खुले मैदानों में नन्हे कदमों को साहब, ज़िन्दगी बहुत भगाती है बचपन गुजर जाने के बाद..
Category: प्यारी शायरी
मेरा खुदा एक ही है
मेरा खुदा एक ही है…. जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला भटक गया था मै…. जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
बंदगी न हो जाए!
अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ आशिक़ी बंदगी न हो जाए!
अच्छी लगती है पगली
ख़ुशी दे, या गम दे दे…. मग़र देते रहा कर ,तू उम्मीद है मेरी… तेरी हर चीज़ अच्छी लगती है पगली
बेनाम सा रिश्ता
बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है पलके आंखे, दिया और बाती ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!
अपनी जिद्द बना लो.!
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो, मुझे भी अपनी जिद्द बना लो.!!
दिल को हल्का कर लेता हूं
दिल को हल्का कर लेता हूं लिख-लिख कर.. लोग समझते हैं… मैं शायरी करता हूं…
कौन कहता है कि
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है|
उमर का जोर
उमर का जोर न दिखाइए जनाब.. तकाज़ा उमर से ही नहीँ, ठोकरों से भी होता है..!
उम्र जाया कर दी
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते… इतना खुद को तराशते तो खुदा हो जाते…