उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
Category: प्यारी शायरी
तेरे शहर के कारीगर
तेरे शहर के कारीगर भी अजीब हैं ऐ दिल…. काँच की मरम्मत करते हैं , पत्थर के औजारों से..
समझ लेता हूँ
समझ लेता हूँ मीठे लफ्जों की कडवाहटें..हो गया है अब जिंदगी का तजुर्बा थोडा बहुत..
बगावत पर उतर आयें हैं
दर्द फिर बगावत पर उतर आयें हैं सभी , लगता है जख्मों को तूने कुरेदा है अभी ।
ये कहकर वापस कर दिया
दिल मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया… . . दुसरा दिजीए… ये तो टुटा हुआ है….!!
फितरत नही बदल सकते
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते ; क्या करू मुझे आदत है मुस्कुराने की ।
कितनी झूठी होती है
कितनी झूठी होती है मोहब्बत की कस्मे, देखो तुम भी ज़िंदा हो और में भी…..!!
उम्र छोटी है
उम्र छोटी है तो क्या.. जीवन का हरेक मंजर देखा हैं..! फरेबी मुस्कुराहटें देखी है.. बगल मे छुपा खंजर देखा हैं…
दूर रहा करो
दूर रहा करो यारो मुझसे टुटा हुआ हु चुभ भी सकता हू!! कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे।
हक तो बनता ही है
वैसे इतना हक तो बनता ही है मेरा तूम पर, दूआ है तुम्हें कोई मेरी तरह ना चाहें..!!