जिस्म का दिल से

जिस्म का दिल से अगर वास्ता नहीं होता ! क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता

तेरी गली का सफर

तेरी गली का सफर आज भी याद है मुझे…!! मैं कोई वैज्ञानिक नही था, पर मेरी “खोज” लाजवाब थी…!!

कहीं कहीं कोई

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है|

कहाँ तो तय था

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए |

अचानक चौँक उठे

अचानक चौँक उठे निँद से हम, किसी ने शरारत से कह दिया सुनो वो मिलने आये है..

हवाएँ बाज कहा आती हैं

हवाएँ बाज कहा आती हैं शरारत से सरो पे हाथ न रखे तो पगड़ियाँ उड़ जाये |

मैं तिनके सा

मैं तिनके सा बहा जा रहा हूँ .. जाने मैं कहाँ जा रहा हूँ …

पूछो इस दिल से

पूछो इस दिल से की मैं तुम्हे कितना याद करता हूँ, पागल सी हो गई है वो कलम जिससे मैं तेरा नाम लिखता हूँ..!!

कोशिश भी मत करना

कोशिश भी मत करना, मुझे संभालने की अब तुम, बेहिसाब टूटा हुं, जी भर के बिखर जाने दो मुझे..!!

कुछ कमियाँ बता कर

कुछ न कुछ कमियाँ बता कर, निगाहों से गिराती है। दुनियां नेक नीयत पर भी, उँगलियाँ अब उठाती हैं.!!

Exit mobile version