हम न समझे थे

हम न समझे थे बात इतनी सी , ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की…

लफ्जों से फतह करता हूँ

लफ्जों से फतह करता हूँ लोगों के दिलों को…”यारों…!” मैं ऐसा बादशाह हूँ जो कभी लश्कर नहीं रखता हूँ…!

चलो इश्क़ में

चलो इश्क़ में कुछ यु अंदाज़ अपनाते हैं तुम आँखें बंद करो हम तुम्हे सीने से लगाते हैं|

देख के दुनिया को

देख के दुनिया को हम भी बदलेंगे अपने मिज़ाज ए ज़िन्दगी …. राब्ता सबसे होगा वास्ता किसी से नहीं

हर बात मानी है

हर बात मानी है सर झुकाकर तेरी ए ज़िन्दगी …. हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्ते मान मेरी…

ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को

ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को सलाम… मंजिल पता है के मौत है फिर भी दौड रही है….।।

किस किस को लूटा है

जाने किस किस को लूटा है इस चोर ने मसीहा बनकर, के आओ सब मिलकर इश्क पे मुकदमा कर दें…

हम आज भी नही रखते

नाराजगी चाहे कितनी भी क्यो न हो तुमसे तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नही रखते |

एक मैं हूँ

एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई, एक तुम हो , जिसका कोई नहीं जवाब.

फलसफा सीखना है

फलसफा सीखना है ज़िंदगी का उन परिंदों से, जो कूड़े में पड़ा गेंहू का दाना ढूंढ लेते हैं।।

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