कभी आई तेरी याद

कभी आई तेरी याद माँ तो हम जी भर के रो लिये कभी जागे सारी रात तो कभी दिन मे ही सो लिए आन्सुओ से तुम्हारे न होने का गम मिटा रहा हू क्या बताऊ कैसे जिये जा रहा हूँ तुम्हरा दुलार बहुत याद आता है हर बार आँखो मे आँसू छोड़ जाता है|

एक धोखे से ही

एक धोखे से ही हिल जाती है जमीन ऐतबार की जिन्दगी तबाह करने के लिए भूकंप आए जरूरी नहीं|

इस इंतिज़ार में बैठे हैं

इस इंतिज़ार में बैठे हैं उन की महफ़िल में…!!! कि वो निगाह उठाएँ तो हम सलाम करें…!!

चलो ऐसा करते हैं

चलो ऐसा करते हैं तुम मोम बन जाओ मैं धागा बन जाऊं तुम मुझ में पिघल जाओ मैं तुम में जल जाऊं|

तुझसे ज्यादा तेरी याद

तुझसे ज्यादा तेरी याद को है मुझसे हमदर्दी देखती है मुझे तन्हा तो चली आती है…!!!

एक उम्र ग़ुज़ारी हैं

एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए, एक उम्र गुज़ार देंगे तुम्हें महसूस करते हुए|

आपको कुछ और सितम

आपको कुछ और सितम करने की ज़रूरत नहीं, तन्हा छोड़ दिया है तो अब हम ऐसे ही मर जाएँगे !!

चंद पन्ने क्या फटे

चंद पन्ने क्या फटे ज़िन्दगी की किताब के…!! ज़माने ने समझा हमारा दौर ही ख़त्म हो गया….

ज़िन्दगी के हर पन्ने पर

छिड़क दिया तुम्हे ज़िन्दगी के हर पन्ने पर इत्र की तरह मेरे बाद भी मुझमे तुम ही महकोगे|

जमाना कल भी खराब था

जमाना कल भी खराब था और आज भी है द्रोपदी का चिरहरण करने वाले को भूल गए लोग पर जिसने सीता को हाथ तक भी नही लगाया वो आज तक जल रहा है ………..

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