एक एक कर

एक एक कर इतनी कमियाँ निकाली लोगो ने मुझमें की ….. अब सिर्फ खूबियाँ ही रह गयी है मुझमें

बहुत अहसान है

बहुत अहसान है हम पर तुम्हारे,एक और कर देते “होकर हमारे”

सिर्फ एक रूह बची है

सिर्फ एक रूह बची है,ले जा सकते हो तो ले जाओ..! बाकी सब कुछ तेरे इश्क़ में हम हार बैठे है|

बयाँ कैसे करूँ

बयाँ कैसे करूँ में अपने उजड़ने की दास्ताँ,आज भी फ़िक्र ने तेरी मुझे बेजुबां बना दिया|

माना उन तक

माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी, मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम…

ख़लिश और कशिश

ख़लिश और कशिश में ज़िन्दगी और मौत सा अंतर होता है ।

अपने एहसास से

अपने एहसास से छू कर मुझे चन्दन कर दो में सदियों से अधूरा हूँ , मुझे मुकम्मल कर दो|

मुझे भी सिखा दो

मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर.. मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हें याद करते करते. .!

छत पर आकर

छत पर आकर वो फिर से मुस्कुरा के चली गईं, दिल पहले से हाईजैक था, मुर्दे दिमाग में भी लालटेन जला के चली गईं।

अब आ गये हैं

अब आ गये हैं आप तो आता नहीं है याद वर्ना कुछ हमको आपसे कहना ज़रूर था….!

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