लिखो तो पैगाम

लिखो तो पैगाम कुछ ऐसा लिखो की, कलम भी रोने को मजबूर हो जाये, हर लफ्ज में वो दर्द भर दो की, पढने वाला प्यार करने पर मजबूर हो जाये..

किसी हसरत का पता

अपने दिल की किसी हसरत का पता देते है।मेरे बारे में जो अफवाह उड़ा देते है|

तुम सामने आये तो

तुम सामने आये तो अजब तमाशा हुआ….. हर शिकायत ने जैसे खुदखुशी कर ली…….

उस गरीब की उम्मीदे

उस गरीब की उम्मीदे भी क्या होगी…. जिसकी सांसे गुब्बारो मे बिकती है….

एक साँस भी

एक साँस भी पूरी नही होती तुम्हारे ख़यालों के बिना….. कैसे सोच लिया जी लेंगे तुम्हारे बिना……

कितने अल्फ़ाज़ होते है

खामोशी के भी कितने अल्फ़ाज़ होते है अगर तुम समझ जाते तो आज मेरे पास होते..!!

कुछ न कहने से भी

कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न, ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है…

गम से छूटकर

गम से छूटकर यह गम है मुझको कि क्यू गम से निजात हो गयी|

ये कह-कह के

ये कह-कह के हम दिल को बहला रहे हैं वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं !!

मेरी बेकरारी देखी है

मेरी बेकरारी देखी है ,अब सब्र भी देख,, मैं इतना खामोश हो जाऊँगा तू चिल्ला उठेगी..!

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