जाने किस किस को लूटा है इस चोर ने मसीहा बनकर, के आओ सब मिलकर इश्क पे मुकदमा कर दें…
Category: पारिवारिक शायरी
नाराजगी चाहे कितनी भी
नाराजगी चाहे कितनी भी क्यो न हो तुमसे तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नही रखते|
फलसफा सीखना है
फलसफा सीखना है ज़िंदगी का उन परिंदों से, जो कूड़े में पड़ा गेंहू का दाना ढूंढ लेते हैं।।
कौन कहता है
कौन कहता है ,आंसुओं में वजन नहीं होता एक आंसू भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता|
क्या हो जब
क्या हो जब इश्क अकेलेपन से हो जाए.. साथ होना किसी का या ना होना इक सी बात हो जाए..!!
इस तरह मिली
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद, जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद, मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी, वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद|
कुछ लोग कहते है
कुछ लोग कहते है की बदल गया हूँ मैं, उनको ये नहीं पता की संभल गया हूँ मैं, उदासी आज भी मेरे चेहरे से झलकती है, पर अब दर्द में भी मुस्कुराना सीख गया हूँ मैं|
हवा के दोश पे
हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम..जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी …!!!
उठो तो ऐसे उठो
उठो तो ऐसे उठो, फक्र हो बुलंदी को भी..!! झुको तो ऐसे झुको, बंदगी भी नाज़ करे..!!!
एक एक कर
एक एक कर इतनी कमियाँ निकाली लोगो ने मुझमें की ….. अब सिर्फ खूबियाँ ही रह गयी है मुझमें