खामोशी के भी कितने अल्फ़ाज़ होते है अगर तुम समझ जाते तो आज मेरे पास होते..!!
Category: गज़ल
कुछ न कहने से भी
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न, ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है…
गम से छूटकर
गम से छूटकर यह गम है मुझको कि क्यू गम से निजात हो गयी|
ये कह-कह के
ये कह-कह के हम दिल को बहला रहे हैं वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं !!
मेरी बेकरारी देखी है
मेरी बेकरारी देखी है ,अब सब्र भी देख,, मैं इतना खामोश हो जाऊँगा तू चिल्ला उठेगी..!
मेरे दिल और दिमाग
मेरे दिल और दिमाग लड़ते है आपस में दो मुल्को की तरह तेरे लिये… इसमें तुम्हारा भी दोष नही,तुम हो ही कश्मीर सी सुन्दर..!!
काफी नही फ़क़ीरी में
काफी नही फ़क़ीरी में दुनिया को छोड़ना, कुछ आपका मिजाज भी ‘रूहानी’ होना चाहिए..
तेरे दीदार में
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते है…
चार आने सांस
चार आने सांस,बारह आने एहसास,एक रूपया जिंदगी|
याद कर लेना मुझे
याद कर लेना मुझे तुम, कोई भी जब पास न हो ! चले आएंगे इक आवाज़ में, भले हम ख़ास न हों..!!