दिल से नाजुक नही.. दुनिया मेँ कोई चीज साहब लफ्ज का वार भी … खंजर कि तरह चुभता है।
Author: pyarishayri
वो सजदा ही क्या
वो सजदा ही क्या… जिसमे होश रहे सर उठाने का…
रंगो से डर नहीं लगता दोस्तों
रंगो से डर नहीं लगता दोस्तों…. रंग बदलने वाले दोस्तो से लगता है…
दिल का अपनी हद से
दिल का अपनी हद से बाहर हो जाना, शायद इसे ही बे हद महोब्बत कहते हे…!!
मेरे लफ्जो से मत कर
मेरे लफ्जो से मत कर। मेरे किरदार का फैसला ।। तेरा वजूद मिट जायेगा । मेरी हकीकत ढूँढते ढँढुते !
वाकिफ तो रावण भी था
वाकिफ तो रावण भी था, अपने अंजाम से….. जिद तो अपने अंदाज से जीने कि थी……
तुझे क्या देखा खुद को भूल गए
तुझे क्या देखा, खुद को भूल गए हम इस कदर.. कि अपने ही घर आये, औरों से रास्ता पूछकर…!!
दिल को हल्का कर लेता हूँ
दिल को हल्का कर लेता हूँ लिख-लिख कर। लोग समझते हैं मैं शायर हो गया हूँ।।
दर्द कितना खुशनसीब है
दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं, दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है !!
बुरी आदतें अगर वक़्त पे ना
बुरी आदतें अगर, वक़्त पे ना बदलीं जायें… तो वो आदतें, आपका वक़्त बदल देती हैं”…..