नाप के, वक़्त भरा जाता है,हर रेत घड़ी में
इक तरफ़ ख़ाली हो जब फिर से उल्ट देते हैं उसको
उम्र जब ख़तम हो,क्या मुझ को वो उल्टा नहीं सकता
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नाप के, वक़्त भरा जाता है,हर रेत घड़ी में
इक तरफ़ ख़ाली हो जब फिर से उल्ट देते हैं उसको
उम्र जब ख़तम हो,क्या मुझ को वो उल्टा नहीं सकता