गुजर रहा था तेरी गली से सोचा उन
खिड़कियों को सलाम कर लूँ…
जो कभी मुझे देख कर खुला करती
थी..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुजर रहा था तेरी गली से सोचा उन
खिड़कियों को सलाम कर लूँ…
जो कभी मुझे देख कर खुला करती
थी..