चलते चलते थक कर पूँछा पाँव के ज़ख़्मी छालों ने….
बस्ती कितनी दूर बना ली दिल में बसने वालों ने….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चलते चलते थक कर पूँछा पाँव के ज़ख़्मी छालों ने….
बस्ती कितनी दूर बना ली दिल में बसने वालों ने….