अब गुमसुम सी रहती हैं उँगलियाँ अपनी सहेलियों के बिना
और आंखे इस अफ़सोस मे कि छुपाया क्यों नही उसे जब वो डूबा था|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अब गुमसुम सी रहती हैं उँगलियाँ अपनी सहेलियों के बिना
और आंखे इस अफ़सोस मे कि छुपाया क्यों नही उसे जब वो डूबा था|