कुछ देखा नहीं मैंने

झुकती पलकें,उभरती साँसें,मौन होंठ,बोलती

आँखें,सिमटती हया और खुले बाल,

सच कहूँ तुमसे बेहतर जँहा में कुछ देखा नहीं मैंने।

इन आँखों में

इन आँखों में, आज फिर नमी सी है…
इस दिल में आज फिर तेरी कमी सी है!!

नहीं भूलती वो तेरी बातें…
याद आ गईं फिर,वो मुलाकातें !!!