by pyarishayri - Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Shayari, Shayri, प्यारी शायरी, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, शायरी, हिंदी, हिंदी शायरी - October 13, 2016 रोज़ एक ज़ख़्म रोज़ एक ज़ख़्म माँगता है इश्क, मेरी गठरी में इतना माल कहाँ|