by pyarishayri - 2 Line Shayri, Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Shayari, Shayri, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, शायरी, हिंदी शायरी - October 4, 2016 कल अचानक देखा कल अचानक देखा तरसी निग़ाहों को किताबे आज भी छाती से लग के सोना चाहती है|