by pyarishayri - Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Shayari, Shayri, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, शायरी, हिंदी शायरी - October 3, 2016 कोई कम्बखत उछाल न दे कोई कम्बखत उछाल न दे हवा में…. अपने गालों से लग जाने दे. एक मुठ्ठी गुलाल ही तो हूँ