किसी और के दीदार के लिए
उठती नहीं ये आँखे,
बेईमान आँखों में
थोड़ी सी शराफ़त
आज भी है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी और के दीदार के लिए
उठती नहीं ये आँखे,
बेईमान आँखों में
थोड़ी सी शराफ़त
आज भी है|