शाम हुई हम आकर बैठे
फिर तेरी तस्वीर के पास.,
जैसे ग़ज़लें जा कर बैठें
अपने अपने मीर के पास|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शाम हुई हम आकर बैठे
फिर तेरी तस्वीर के पास.,
जैसे ग़ज़लें जा कर बैठें
अपने अपने मीर के पास|