सारी उम्र भागते रहे कमाने को
माँ के पैर में देखा तो खज़ाना था
जिसको थाली में रोज़ छोड़ा हमने
हक़ीक़त में किसी ग़रीब का खाना था|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सारी उम्र भागते रहे कमाने को
माँ के पैर में देखा तो खज़ाना था
जिसको थाली में रोज़ छोड़ा हमने
हक़ीक़त में किसी ग़रीब का खाना था|