बड़ी हसरत से

बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई,
कल शाम मेरे शहर से आंधी,
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं,
जिन में हुनर था थोडा झुक जाने का ।।।

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