मेरे ग़ज़लों में हमेशा

मेरे ग़ज़लों में हमेशा, ज़िक्र बस तुम्हारा रहता है…

ये शेर पढ़के देखो कभी, तुम्हे आईने जैसे नज़र आएंगे|

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