मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने की…
लेकिन
मज़बूर को…मज़बूर की…मजबूरियां मज़बूर कर देती है….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने की…
लेकिन
मज़बूर को…मज़बूर की…मजबूरियां मज़बूर कर देती है….