जिस्म का बरसों पुराना

जिस्म का बरसों पुराना ये खँडर गिर जाएगा,
आँधियों का ज़ोर कहता है शजर गिर जाएगा !

हम तवक़्क़ो से ज़ियादा सख़्त-जाँ साबित हुए,
वो समझता था कि पत्थर से समर गिर जाएगा !

अब मुनासिब है कि तुम काँटों को दामन सौंप दो,
फूल तो ख़ुद ही किसी दिन सूखकर गिर जाएगा !

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