रूह में बसा करते थे हम कभी….
अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रूह में बसा करते थे हम कभी….
अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।