प्रीत बँधती नहीं किसी
परिधि से,जिस्म कुछ नहीं,
रूह से रूह के रिश्ते ,
कमाल बनते हैं,
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
प्रीत बँधती नहीं किसी
परिधि से,जिस्म कुछ नहीं,
रूह से रूह के रिश्ते ,
कमाल बनते हैं,