मौजों ने सहारा दिया है

मौजों ने सहारा दिया है कभी-कभी
तूफां में किनारा मिला है कभी-कभी

दिल खुद से बेनियाज़ रहा
तेरी याद में
ऐसा भी वक्त़ हमने
गुजारा है कभी-कभी

दिल में भड़क उठी है
ग़म-ए-बेकसी की आग
भड़का है आरजू का
गगरा कभी-कभी

एक बेवफा की याद में
नक्शे ज़हन पर
धुंधला सा एक नक्श
उभरा है कभी-कभी|

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