जो मुँह तक उड़ रही थी, अब लिपटी है पाँव से…,
..बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो मुँह तक उड़ रही थी, अब लिपटी है पाँव से…,
..बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई….