फिर उसी की तमन्ना

फिर उसी की तमन्ना,
ऐ दिल,तुझे इज़्ज़त रास नहीं…??
मुझ से हर बार नज़रें चुरा लेती है वो,
मैंने कागज़ पर भी बना के देखी है आँखे उसकी !!

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