हर कोई भूल जाता है अपने शहर को,
उतरता है जब भी खाबों की डगर को।
पा गये हो दोस्त तुम कुछ चार दिन के
भूल गये दोस्त, नाता पुराना साथ जिनके।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हर कोई भूल जाता है अपने शहर को,
उतरता है जब भी खाबों की डगर को।
पा गये हो दोस्त तुम कुछ चार दिन के
भूल गये दोस्त, नाता पुराना साथ जिनके।